Laxmi Ji Ki Aarti | लक्ष्मी जी की आरती

Laxmi Mata Aarti | महालक्ष्मी आरती
Laxmi Ji Ki Aarti-हिंदू धर्म के अनुसार दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी धरती पर दर्शन के लिए आती हैं। लोग दिवाली से पहले ही मां के स्वागत के लिए घर की सफाई शुरू कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी स्वच्छ स्थान से बहुत प्रसन्न होती हैं। इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं और शुभ मुहूर्त में उनकी पूजा करते हैं।
दिवाली के दिन लोग देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए तरह-तरह की तैयारियां करते हैं। कुछ लोग मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं, तो कुछ लोग तुलसी के साथ आंगन में मां के पैरों के निशान बनाकर मां का स्वागत करते हैं। मान्यताओं के अनुसार जिस घर में रंगोली बनती है उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। रंगोली माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की पूजा करने से माता अति प्रसन्न होती है।
देवी महा लक्ष्मी को धन, समृद्धि, भाग्य, शक्ति की देवी के रूप में भी वर्णित किया गया है और यह प्रेम और सौंदर्य की अवतार हैं। अपने पहले अवतार में, पुराणों के अनुसार, वह ऋषि भृगु और उनकी पत्नी ख्याति की बेटी थीं। वह बाद में दूध के सागर से पैदा हुई थी, जिसे मंथन के समय क्षीर-सागर के नाम से जाना जाता था।
शुक्रवार के दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन उनके अपने शक्ति रूप मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। अधिकांश लोगों का मानना है कि देवी लक्ष्मी की पूजा केवल धन प्राप्ति के लिए की जाती है, वहीं जो व्यक्ति पूरे मन से उनकी पूजा करता है, मां भी उसे यश प्रदान करती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने वाले व्यक्ति का दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
लक्ष्मी जी को धन की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, उस घर में बरकत का वास होता है। लक्ष्मी जी की पूजा और जाप करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बहुत से लोग देवी लक्ष्मी की पूजा और उपवास करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आरती के बाद धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, तो वह खुश हो जाती हैं और अपने भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। आप लक्ष्मी जी की आरती उतारकर चालीसा का पाठ करके मां की पूजा कर सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं लक्ष्मी मां की आरती। इस आरती को करने से विशेष फल मिलता है।
लक्ष्मी जी की आरती इमेज | लक्ष्मी जी की आरती लिखित में

Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,
नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,
वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
Laxmi Chalisa | लक्ष्मी चालीसा

॥ दोहा॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
॥ दोहा॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
।। इति लक्ष्मी चालीसा समाप्त ।।
Laxmi Mantra | लक्ष्मी मंत्र
हिंदू शास्त्रों में धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप का विधान बताया गया है। मां के विभिन्न मंत्रों के जाप से आर्थिक लाभ होता है और मां की अखंड कृपा से सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं। आइए जानते हैं मंत्रों के बारे में-
१. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: यह वैभव लक्ष्मी का मंत्र है, इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को लाभ मिलता है।
2.धनाय नमो नम: देवी मां के इस मंत्र का रोजाना 11 बार जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति की धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
३ .ॐ लक्ष्मी नम: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के घर में लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही घर में कभी भी खाने-पीने की चीजों की कमी नहीं होती है। इस मंत्र का जाप कुश आसन पर ही करना चाहिए।
४ . ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से सारे काम सुचारु रूप से पूरे हो जाते हैं।
५ . लक्ष्मी नारायण नम: इस मंत्र के जाप से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पति-पत्नी के संबंध भी अच्छे बने रहते हैं।
६ . पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ; मां लक्ष्मी के इस मंत्र का 108 बार जाप करें। स्फटिक की माला से इसका जाप करें। इससे घर में हमेशा खाना और पैसा बना रहता है.
७ . ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है। मां लक्ष्मी की चांदी या अष्ट धातु की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए।
८ . ॐ धनाय नम: इस मंत्र का जाप करने से धन लाभ होता है। इसे शुक्रवार के दिन कमलगट्टे की माला से करना चाहिए।
९ . ओम ह्रीं श्री क्रीं क्लें श्ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा: कर्ज से मुक्ति चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करें। इससे आर्थिक तंगी दूर होती है।
१० . ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट: किसी भी कार्य में सफलता के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मां की कृपा हमेशा बनी रहती है.