गणेश चालीसा | Shri Ganesh Chalisa

गणेश चालीसा का पाठ कैसे करे
Ganesh Chalisa-बुधवार का दिन बिगड़े कामो को बनाने के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। सुबह स्नान के बाद गणेश जी की पूजा करें। भगवान गणेश को उनके पसंदीदा मोदक या लड्डू चढ़ाएं और दूर्वा का भोग लगाएं।
गणेश जी आप पर प्रसन्न होंगे। वह देवताओं के कष्टों को दूर करने वाला है। हमारी परेशानी भी दूर करेंगे। यदि आप मंत्र जाप या कोई अन्य कार्य नहीं करना चाहते हैं तो आप गणेश पूजा के दौरान श्री गणेश चालीसा का पाठ करें। गणेश चालीसा में गणपति बप्पा की महिमा का वर्णन किया गया है। यह उनके जन्म की कहानी भी बताता है।
गणेश चालीसा का पाठ करने के लिए आप गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने आसन बिछाकर पूजा घर में बैठ जाएं। फिर भगवान गणेश को लाल फूल, चंदन, अक्षत, धूप, दीपक, गंध, रोली, फल आदि चढ़ाएं। ओम गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें। इस पाठ को आप किसी भी गणेश मंदिर में भी कर सकते हैं। पूजा के समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
Ganesh Chalisa In Hindi Lyrics

॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥
गणेश चालीसा के फायदे
इस चालीसा का पाठ करके आप गणपति बप्पा को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। गणेश जी की कृपा से आपके बुरे कार्य भी माफ़ होंगे। सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी। यदि आप व्यापार में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो गाय को हरा चारा खिलाएं या हरे मूंग या हरे वस्त्र का दान करें। इससे बुध ग्रह बलवान होगा, जिससे व्यापार में सफलता मिलेगी।
गणेश चालीसा का महत्व
गणेश चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। भगवान श्री गणेश की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। गणेश चालीसा के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता।